बिल्ली की जेर
बिल्ली के प्रसव के समय बिल्ली के द्वारा एक प्रकार की थैली त्यागी जाती है, जिसे आंवल या जेर कहते है | प्रायः सभी पशुओँ में प्रसव के समय आंवल निकलता है, परन्तु बिल्ली की विशेषता यह है की बिल्ली अपना आंवल तुरंत खा जाती है | पालतू बिल्ली का आंवल किसी कपड़े से ढक कर प्राप्त कर लिया जाये तो इसका तांत्रिक प्रभाव धन-धान्य में वृद्धि करता है |
बिल्ली की जेर पूजा करने की विधि :
सर्वप्रथम बिल्ली की जेर की शुद्धता जाँच कर लेनी चाहिए और उचित नक्षत्र में इसको गंगा जल से स्नान करा लें और लाल कपड़े में लपेट कर उचित स्थान में रख लें | जब इसका पानी सूख जाये तो अबूझ मुहूर्त में विधिवत सिद्ध करने के पश्चात इसे चांदी की डिब्बी में कामाख्या सिन्दूर के साथ रखना चाहिए |
इसे ११ दिन तक पूजा मंदिर में रखना है, ११ दिन बाद इसे अपनी तिजोरी या गल्ले में छिपा कर रखना है | बिल्ली की जेर कामाख्या सिन्दूर के साथ रखने से घर में सूख शांति आती है, धन धान्य और संपत्ति में अपार वृद्धि होती है, घर पर किये गए अभिचार प्रयोग असर नहीं करते, घर को किसी की नजर नहीं लगती और बाधाएं दूर रहती हैं |
इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए और आकर्षण, मोहन, वशीकरण अन्य अभिचार कार्यो के लिए बिल्ली की जेर कुछ ही दिनों में सिद्ध हो जाती हैं और अति शीघ्र असर दिखने लगता हैं |
सिद्ध करने के लिए मंत्र :
|| 'ओम श्रीम उलूक मम कराया कुरु कुरु नमः '||
इस मंत्र को १०८ बार ११ दिन नित्य पढ़ने से कार्य सिद्ध हो जाता हैं |
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