Wednesday 27 July 2016

सियार सिंगी से वशीकरण / Vashikaran by using Siyar Singi

सियार सिंगी से वशीकरण / Vashikaran by using Siyar Singi

सियार सिंगी पर वशीकरण (शाबर मंत्र और विधि)
वशीकरण का मतलब होता है किसी को अपने अनुकूल कर लेना ।
अगर प्रेमी यां प्रेमिका का मन बदल गया हो , या विवाह करने को राज़ी न हो रहे हों।
कोई अधिकारी आपके विरोध में कार्य कर रहा हो,
परिवार में कोई सदस्य गलत रास्ते पर जा रहा हो तो वशीकरण प्रयोग से उसका मन बदला जा सकता है।
पति- पत्नी या परिवार के किसी अन्य सदस्य से न बनती हो और झगडे होते हों और घर में अगर कलह रहती हो तो वशीकरण से आपस में विवाद ख़तम किये जा सकते हैं ।
शुक्रवार के दिन जिस भी व्यक्ति स्त्री या पुरुष को अपने अनुकूल करना हो उसका नाम कुमकुम से स्टील की प्लेट पर लिखें , अगर उसका चित्र हो तो नाम के ऊपर उसका चित्र रख दें । अब इसके ऊपर सियार सिंगी को स्थापित करें । सियार सिंगी पर केसर का तिलक लगाये। अब इस पर चावल और पुष्प चढ़ा दें। इसके बाद इसपर हिना की इत्र लगायें । मिठाई का भोग अर्पित करें.
अब निम्न मंत्र का जप १०८ बार करें:-
बिस्मिलाह मेह्मंद पीर आवे घोडे की सवारी , पवन को वेग मन को संभाले, अनुकूल बनावे , हाँ भरे , कहियो करे , मेह्मंद पीर की दुहाई , शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र इश्वरो वाचा।
इस प्रकार मात्र २१ दिन तक करें . २१ दिन के बाद सियार सिंगी को चित्र के साथ किसी लाल कपडे में बांध कर रख ले. जब तक वह चित्र सियार सिंगी के साथ बंधा रहेगा वोह व्यक्ति आपके अनुकूल रहेगा आपके वश में रहेगा।
पूरे प्रयोग में एक चीज़ का ध्यान अवश्य रखें की सियार सिंगी असली होनी चाहिए। आज कल बाज़ार में नकली सियार सिंगी की भरमार है और साधारण जन को इनकी पहचान नहीं होती जिसका फायदा नकली सियार सिंगी बेचने वाले उठाते हैं और अपनी जेबें भरते हसी। नकली का प्रयोग करेंगे तो साधना सफल कैसे होगी?

प्रयोग सम्बन्धी किसी जानकारी, समस्या समाधान या कुंडली विश्लेषण के लिए संपर्क कर सकते हैं।
।।जय श्री राम।।
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Hattha Jodi For vashikaran

वशीकरण का सामान्य और सामान्य अर्थ है- 
किसी दूसरे को प्रभावित करना, आकर्षित करना या वश में करना। जीवन में ऐसे कई अवसर आते हैं जब इंसान को अपने किसी Near या Dear को अपने अनुकूल बनाने के लिए किसी उपाय की जरूरत पड़ती है। किसी रूठें हुए प्रियजन को मनाना हो या किसी अपने के अनियंत्रित होने पर उसे किसी भी प्रकार से अपने नियंत्रण में लाना हो, तब ऐसे ही हत्था जोड़ी इत्यादि किसी उपाय की सहायता ली जा सकती है। वशीकरण के लिये यंत्र, तंत्र, और मंत्र तीनों ही शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं। यहां हम ऐसे ही एक अचूक हत्था जोड़ी का प्रयोग बता रहे हैं। इस प्रयोग के लिए यह श्री दुर्गा सप्तशती का अनुभव सिद्ध मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
जप संख्या 11,250
मंत्र 
ज्ञानिनामपि चेतांसि, देवी भगवती ही सा।
बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति॥
यह एक अनुभवसिद्ध प्रभावशाली मंत्र है। हत्था जोड़ी साधना से पूर्व देवी भगवती त्रिपुर सुन्दरी माता का एकाग्रता पूर्वक ध्यान करें। ध्यान के पश्चात पूर्ण भक्ति-श्रृद्धा भाव से पंचोपचार से पूजन कर देवी मां के समक्ष अपना मनोरथ व्यक्त कर दें।
वशीकरण सम्बंधी प्रयोगों में लाल रंग का प्रयोग किया जाता हैं, अत: साधना के दोरान यथा सम्भव लाल रंग का ही प्रयोग करें।

साधक अपनी अनुकूलता अनुशार इस मंत्र के अलावा अन्य वशीकरण मंत्र का चुनाव भी कर सकते हैं।
वशीकरण के कई प्रकार के यंत्र मंत्र एवं तंत्र के उपाय हमारे समाज में प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। विद्वानों के मतानुसार  वशीकरण के कुछ उपाय अत्यंत अचूक और 100% प्रमाणिक साधन या उपाय माने जाते हैं, जिसमें से हात्था जोडी का प्रयोग भी अत्यंत अचूक एवं लाभप्रद माना जाता हैं। किसी भी साधना या प्रयोग के लिए विशेष विधी-विधान एवं नियमों का पालन करना आवश्य होता है। किसी भी प्रकार की भूल-चूक होने पर विपरित परिणाम संभव हैं। इसीलिये, आज की इस भाग-दोड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति ऐसे तरीके या उपाय करना चाहता है, जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सके और किसी भी प्रकार के जोखिम या विपरीत परिणामो से पूरी तरह से सुरक्षित हों।
इस लिय इस प्रकार की साधनाएं या उपाय करने में असमर्थ हो तो किसी योग्य साधक या गुरु से सिद्ध करवा लें एवं उसे प्रयोग लें इस्से भी आपको समान फल की प्राप्ति होती हैं।

* मंत्र का प्रयोग किसी दूसरे को क्षती-हानी या अधार्मिक तथा अनैतिक उद्देश्य के लिये करना सर्वथा वर्जित है। इस्से विपरित परिणामों की प्राप्ति होती हैं। अतः मंत्र का उच्चारण अति सावधानी से करें यदि स्वयं प्रयोग करने में असमर्थ हैं तो किसी योग्य साधक से भी करवा सकते हैं। 
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इंद्रजाल या महा इंद्रजाल :

इंद्रजाल या महा इंद्रजाल :
मित्रों 
इंद्रजाल एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही शरीर में एक रोमांच पैदा हो जाता है। प्राचीनकाल में तंत्र , जादू, काला जादू, भ्रम और रहस्यमय विद्या के लिए इंद्रजाल शब्द प्रयुक्त होता था।

सिद्ध इंद्रजाल को अपने पास रखने से नजरदोष, ऊपरी बाधा, नकारात्मक शक्तियों और जादू टोने का प्रभाव आदि का प्रभाव क्षीण होता है।
यह प्रबल आकर्षण शक्ति संपन्न है।
अभिमन्त्रित कर ताबीज़ में भर कर धारण करने से सर्वजन पर वशीकरण प्रभाव होता है।
रवि पुष्य नक्षत्र, नवरात्र, होली दीपावली इत्यादि शुभ समय में मंत्रों से इंद्रजाल वनस्पति को मंत्रों से अभिमंत्रित कर साधक अपने कर्मक्षेत्र में और अध्यात्मिक क्षेत्र में लाभ प्राप्त कर सकता है।
घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियों भूत प्रेत आदि का प्रवेश नहीं होता । वास्तु दोषों का नाश होता है।
रोगी व्यक्ति के दक्षिण दिशा में लगाने से मृत्यु भय नहीं होता और उत्तर में लगाने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
दुकान व्यापार स्थल के दक्षिण दिशा में लगाने से व्यापार में उन्नति होती है और दुश्मनों प्रतिद्वंदियों द्वारा किये कराये के असर से बचाव होता है।
तंत्र में जहां एक ओर ये सुरक्षा करता है वहीँ दूसरी ओर इसके घातक प्रयोग भी है जैसे शत्रु को मतिमूढ़ यानि पागल करना, गम्भीर त्वचा रोग लगा देना और रक्त दोष उतपन्न करना।
वही चिकित्सा के क्षेत्र में पारंपरिक चिकित्सा में ये जीवन दायिनी भी है। अन्य वनस्पति यौगिकों के साथ मिलाकर ये लीवर के गम्भीर रोगों और पुरुषों के प्रोस्टेट समस्या और कैंसर के लिये अतिउपयोगी औषधि भी है।
अधिक जानकारी समस्या समाधान एवम् कुंडली विश्लेषण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र

कब करें महामृत्युंजय मंत्र जाप?
महामृत्युंजय मंत्र जपने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।
दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है। साथ ही इस मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएँ दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। निम्नलिखित स्थितियों में इस मंत्र का जाप कराया जाता है-
(1) ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म, मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में ग्रहपीड़ा होने का योग है।
(2) किसी महारोग से कोई पीड़ित होने पर।
(3) जमीन-जायदाद के बँटबारे की संभावना हो।
(4) हैजा-प्लेग आदि महामारी से लोग मर रहे हों।
(5) राज्य या संपदा के जाने का अंदेशा हो।
(6) धन-हानि हो रही हो।
(7) मेलापक में नाड़ीदोष, षडाष्टक आदि आता हो।
(8) राजभय हो।
(9) मन धार्मिक कार्यों से विमुख हो गया हो।
(10) राष्ट्र का विभाजन हो गया हो।
(11) मनुष्यों में परस्पर घोर क्लेश हो रहा हो।
(12) त्रिदोषवश रोग हो रहे हों।

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