Wednesday, 27 July 2016

Hattha Jodi For vashikaran

वशीकरण का सामान्य और सामान्य अर्थ है- 
किसी दूसरे को प्रभावित करना, आकर्षित करना या वश में करना। जीवन में ऐसे कई अवसर आते हैं जब इंसान को अपने किसी Near या Dear को अपने अनुकूल बनाने के लिए किसी उपाय की जरूरत पड़ती है। किसी रूठें हुए प्रियजन को मनाना हो या किसी अपने के अनियंत्रित होने पर उसे किसी भी प्रकार से अपने नियंत्रण में लाना हो, तब ऐसे ही हत्था जोड़ी इत्यादि किसी उपाय की सहायता ली जा सकती है। वशीकरण के लिये यंत्र, तंत्र, और मंत्र तीनों ही शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के प्रयोग किये जाते हैं। यहां हम ऐसे ही एक अचूक हत्था जोड़ी का प्रयोग बता रहे हैं। इस प्रयोग के लिए यह श्री दुर्गा सप्तशती का अनुभव सिद्ध मंत्र का प्रयोग किया जाता है।
जप संख्या 11,250
मंत्र 
ज्ञानिनामपि चेतांसि, देवी भगवती ही सा।
बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति॥
यह एक अनुभवसिद्ध प्रभावशाली मंत्र है। हत्था जोड़ी साधना से पूर्व देवी भगवती त्रिपुर सुन्दरी माता का एकाग्रता पूर्वक ध्यान करें। ध्यान के पश्चात पूर्ण भक्ति-श्रृद्धा भाव से पंचोपचार से पूजन कर देवी मां के समक्ष अपना मनोरथ व्यक्त कर दें।
वशीकरण सम्बंधी प्रयोगों में लाल रंग का प्रयोग किया जाता हैं, अत: साधना के दोरान यथा सम्भव लाल रंग का ही प्रयोग करें।

साधक अपनी अनुकूलता अनुशार इस मंत्र के अलावा अन्य वशीकरण मंत्र का चुनाव भी कर सकते हैं।
वशीकरण के कई प्रकार के यंत्र मंत्र एवं तंत्र के उपाय हमारे समाज में प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। विद्वानों के मतानुसार  वशीकरण के कुछ उपाय अत्यंत अचूक और 100% प्रमाणिक साधन या उपाय माने जाते हैं, जिसमें से हात्था जोडी का प्रयोग भी अत्यंत अचूक एवं लाभप्रद माना जाता हैं। किसी भी साधना या प्रयोग के लिए विशेष विधी-विधान एवं नियमों का पालन करना आवश्य होता है। किसी भी प्रकार की भूल-चूक होने पर विपरित परिणाम संभव हैं। इसीलिये, आज की इस भाग-दोड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति ऐसे तरीके या उपाय करना चाहता है, जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सके और किसी भी प्रकार के जोखिम या विपरीत परिणामो से पूरी तरह से सुरक्षित हों।
इस लिय इस प्रकार की साधनाएं या उपाय करने में असमर्थ हो तो किसी योग्य साधक या गुरु से सिद्ध करवा लें एवं उसे प्रयोग लें इस्से भी आपको समान फल की प्राप्ति होती हैं।

* मंत्र का प्रयोग किसी दूसरे को क्षती-हानी या अधार्मिक तथा अनैतिक उद्देश्य के लिये करना सर्वथा वर्जित है। इस्से विपरित परिणामों की प्राप्ति होती हैं। अतः मंत्र का उच्चारण अति सावधानी से करें यदि स्वयं प्रयोग करने में असमर्थ हैं तो किसी योग्य साधक से भी करवा सकते हैं। 
pandit sunil joshi +91 9601262724

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